चेस बनाया रिकॉड,चंडीगढ़ की सान्वी ने की महारत हासिल जानिए कैसे ?

By सचिन

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चेस वो गेम है

चैस खेलों में वो खेल है जो की हर किसी को कितना भी इंट्रेस्ट लेने के बाद भी हर किसी को नहीं आता है। चेस खेलने से हमारे दिमाग का विकाश बुहत तेजी से होता है शतरंज दो लोगों द्वारा 6 प्रकार के 32 मोहरों साथ बिसात पर खेला जाने वाला एक खेल है। प्रत्येक प्रकार का मोहरा खास तरीके से आगे बढ़ता है। खेल का लक्ष्य शह और मात होता है। यह खेल मूलतः भारत का आविष्कार है। किंवदंती है कि शतरंज का आविष्कार लगभग 200 ईसा पूर्व एक कमांडर हान शिन ने किया था भारतीय शतरंज में दिसंबर, 1987 से पहले कोई ग्रैंडमास्टर नहीं था. विश्वनाथन आनंद दिसंबर, 1987 में इस मुकाम तक पहुंचने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने थे. उनका इस खेल पर ऐसा असर रहा है कि बीते 35 साल में भारत में ग्रैंडमास्टर शतरंज खिलाड़ियों की संख्या 73 तक पहुंच गई.शतरंज रुस,फ्रांस,सुडान का राष्ट्रीय खेल है।

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चंडीगढ़ की सान्वी

Saanvi

चंडीगढ़ की सान्वी अग्रवाल ने महज 4 साल की उम्र में नेशनल अंडर 7 ओपन गर्ल चेस चैंपियनशिप में दूसरा स्थान हासिल किया है. साथ ही इस प्रतिभावान मासूम ने एशिया यूथ अंडर-6 चैंपियशिप के लिए क्वालिफाई भी कर लिया है।

सान्वी चंडीगढ़ के सेंट स्टीफंस स्कूल में केजी में पड़ने वाली वो छात्रा है जिस ने अपना ही नहीं बल्कि अपने माता पिता के साथ स्कुल और पुरे चंडीगढ़ का नाम रोशन किया है बिजनेसमैन पिता अशोक अग्रवाल और चार्टर्ड अकाउंटेंट मां दिव्या अग्रवाल भी चेस में काफी दिलचस्पी रखते हैं. मां दिव्या ने तो इंस्टर स्टेट चेस कॉम्पिटीशन खेला है। चैस में इंटरेस्ट सान्वी का उन के माता पिता के कारण ही हुआ है कुय्की 4 साल के बच्चे आप क्या उम्मीद कर सकते हो। जबकि सान्वी ने तो चैंपियनशिपमें दूसरे no पर जगह पाई है