भारतीय सरकार फ़ीचर्स से ज़्यादा कियें सेफ़्टी पर फ़ोकस, अब हर एक कार में सेफ़्टी Rating होनी चाहिए 4 के पार तभी मिलेगी मंज़ूरी

By Jitendra kumar

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जब बात कार खरीदने की आती है, तो माइलेज, डिजाइन और फीचर्स से ज्यादा लोग सेफ्टी (Car Safety) पर ध्यान देते हैं. हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है. सर्वे में शामिल अधिकांश लोगों का कहना है कि सभी कारों में सेफ्टी रेटिंग दी जानी चाहिए, ताकि पता चल सके कि जिस कार को वे खरीदने जा रहे हैं वो कितनी सुरक्षित है. सर्वे से पता चलता है कि क्रैश टेस्ट रेटिंग और एयरबैग की संख्या लोगों के कार खरीदने के फैसले को प्रभावित करते हैं.

Citroen C3 Latin NCAP

इन पर दिया जोर


स्कोडा ऑटो इंडिया (Skoda Auto India) और NIQ BASES के इस सर्वेक्षण में शामिल 10 में से 9 लोगों का कहना है कि भारत में सभी कारों की सुरक्षा रेटिंग होनी चाहिए. सर्वे के मुताबिक, कार चुनते वक्त लोग सबसे पहले उसकी क्रैश टेस्ट रेटिंग देखते हैं. इसके बाद एयरबैग की संख्या, माइलेज और फीचर्स जैसे मुद्दे आते हैं. इस सर्वेक्षण में 18 से 54 वर्ष के लोगों ने भाग लिया, जिसमें 80% पुरुष और 20% महिलाएं शामिल हैं. बता दें कि बिजनेसमैन साइरस मिस्त्री की सड़क हादसे में मौत के बाद सभी कारों में छह एयरबैग की कवायद शुरू हुई थी, लेकिन बाद में कंपनियों के दबाव के चलते इसकी डेडलाइन को आगे बढ़ा दिया गया.

बढ़ रही जागरुकता


सर्वेक्षण के परिणाम बताते हैं कि क्रैश टेस्टिंग के सवाल पर 22.2% लोगों ने कहा कि वो 5-स्टार वाली गाड़ी चुनेंगे. जबकि 21.3% को 4-स्टार रेटिंग वाली कार चुनने से भी परहेज नहीं है. वहीं, 6.8% लोग जीरो-रेटिंग वाली कार खरीदने के लिए तैयार दिखे. गौरतलब है कि कुछ वक्त पहले तक सेफ्टी पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था. यही वजह थी कि बिना एयरबैग वाली कारों की बिक्री भी धमाकेदार होती थी. लेकिन अब लोग इसके प्रति जागरुक हो गए हैं. वो ऐसी कार को तवज्जो देते हैं, जिसमें कम से कम 2 एयर बैग जरूर हों.

hyundai exter 5 star ncap rating

इन्हें मिली थी खराब रेटिंग


करीब 2 महीने पहले क्रैश टेस्ट में मारुति सुजुकी की दो कारों को काफी कम नंबर मिले थे. Maruti Wagon R और Alto K10 पैसेंजर सेफ्टी में फिसड्डी साबित हुई थीं. ग्लोबल NCAP ने इन दोनों कारों को खराब रेटिंग देते हुए साफ किया था कि चाइल्ड और एडल्ट दोनों की सेफ्टी के लिहाज से ये बाकी कारों से काफी पीछे हैं. ग्लोबल एनकैप या NCAP का मतलब ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (Global New Car Assessment Program) है. यह UK में रजिस्टर्ड चैरिटी संस्था Towards Zero Foundation का एक मेजर प्रोजेक्ट है, जिसके तहत स्वतंत्र रूप से कारों की सुरक्षा की जांच की जाती है. ग्लोबल NCAP में कई मापदंडों पर कारों की क्रैश टेस्टिंग की जाती है, फिर उसके आधार पर उन्हें सेफ्टी रेटिंग मिलती है. ग्लोबल NCAP के क्रैश टेस्ट परिणाम लोगों के कार खरीदने के फैसले को बदलने की ताकत रखते हैं, इसलिए कार निर्माता कंपनियां भी इस संस्था को गंभीरता से लेती हैं.

Jitendra kumar

दुनिया में हो रही हलचल को सत्यता और सटीकता से आप तक पहुंचाना, जनता की आवाज को बुलंद बनाना ही पत्रकार का धर्म है. एक सच्चे पत्रकार को अपने धर्म की रक्षा करनी चाहिए। चूँकि धर्म की जो रक्षा करता है. धर्म उसकी रक्षा करता है. (मैं 2 वर्षो से डिजिटल मीडिया में कार्यरत हूँ। मुझे ऑटोमोबाइल, टेक्नोलॉजी और किसान समाचार में विशेष रूचि है)