Business Idea: इस मोटे अनाज की खेती कर किसान बनेंगे मालामाल! कम लागत में अधिक मुनाफा

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Business Idea: इस मोटे अनाज की खेती कर किसान बनेंगे मालामाल! कम लागत में अधिक मुनाफा

Business Idea: इस मोटे अनाज की खेती कर किसान बनेंगे मालामाल! कम लागत में अधिक मुनाफा, आजकल गेहूं और मक्का की खेती को छोड़कर लोग धीरे-धीरे वापस परंपरागत खेती की तरफ रुख करने लगे हैं. इसी सिलसिले में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के साथ-साथ कृषि विभाग भी इस पर काम कर रहा है. किसानों को मोटा अनाज की खेती की तरफ ले जाने के लिए जागरूक किया जा रहा है. ये जिम्मेदारी कृषि सलाहकार को दी गई है. इससे कम खर्च में किसानों को अच्छी आमदनी होगी. साथ ही कम सिंचाई में भी अच्छी खेती हो सकेगी. मोटा अनाज की खेती पर जोर दिया जाएगा.

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मक्का से ज्यादा मुनाफा देगा मोटा अनाज (Coarse Grains More Profitable Than Maize)

उप-संभागीय कृषि पदाधिकारी अरविंद कुमार से बात करने पर उन्होंने बताया कि जिले में अभी ज्यादातर लोग मक्के की खेती कर रहे हैं. लेकिन ये सबसे ज्यादा सिंचाई वाली खेती है. इस खेती के लिए किसानों को काफी मेहनत करनी पड़ती है. इसके मुताबिक मुनाफा नहीं कमा पाते हैं. ऐसे में अगर किसान मोटा अनाज की खेती करते हैं तो अच्छी कमाई कर पाएंगे.

अब लोग धीरे-धीरे अपनी परंपरागत खेती की तरफ लौट रहे हैं. वहीं लोगों की खाने की आदत में भी बदलाव आया है. लोग अब दोबारा मोटा अनाज की तरफ रुख कर रहे हैं. इसकी पैदावार कम होने के कारण बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिलती है. अगर किसान इसे दोबारा करना शुरू कर दें तो मुनाफा काफी अच्छा होगा.

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कम लागत और कम पानी में होगा फायदा (Profit with Low Cost and Less Water)

उन्होंने बताया कि मोटा अनाज की खेती कम लागत और कम पानी में की जा सकती है. अगर बारिश हो जाए तो सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती. साथ ही इसकी पैदावार के लिए ज्यादा खाद की भी जरूरत नहीं होती है. इसलिए लागत भी कम आती है.

कृषि विभाग देगा प्रशिक्षण और सब्सिडी (Training and Subsidy by Agriculture Department)

अधिकारी ने बताया कि कृषि विभाग इसे प्रशिक्षण के साथ करवाएगा. उन्होंने बताया कि किसान इसकी खेती के लिए कृषि सलाहकार के पास आवेदन देंगे. इसकी खेती के लिए सभी गुणवत्ता वाले बीज भी मुहैया कराए जाएंगे. यही नहीं, कृषि विभाग इसकी खेती पर सब्सिडी भी देगा.

अरविंद कुमार ने बताया कि अभी मोटा अनाज की खेती क्लस्टर के हिसाब से करवाई जाएगी. कोशिश ये है कि अगर इसकी खेती सड़क के किनारे करवाई जाए तो और भी बेहतर होगा क्योंकि इसे देखकर दूसरे किसान भी जागरूक होंगे. ज्यादा से ज्यादा किसान ये खेती कर पाएंगे.