मध्यप्रदेश में हाईटेक हाईवे भोपाल–जबलपुर मार्ग पर अब नींद आने पर मिलेगा अलर्ट, बढ़ेगी सफर की सुरक्षा

मध्यप्रदेश में हाईटेक हाईवे भोपाल–जबलपुर मार्ग पर अब नींद आने पर मिलेगा अलर्ट, बढ़ेगी सफर की सुरक्षा मध्य प्रदेश में यात्रा अब और सुरक्षित होने जा रही है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने भोपाल से जबलपुर को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे-45 पर एक अत्याधुनिक तकनीक लागू की है, जिसका उद्देश्य सड़क हादसों को कम करना और ड्राइवरों की सुरक्षा बढ़ाना है। नौरादेही अभयारण्य से गुजरने वाले लगभग 12 किलोमीटर लंबे इस संवेदनशील हिस्से को 122 करोड़ रुपये की लागत से हाईटेक मॉडल के रूप में विकसित किया गया है।
यह इलाका कई वर्षों से ‘ब्लैक स्पॉट’ के रूप में चिन्हित था, जहां न केवल वाहन दुर्घटनाओं की आशंका रहती थी बल्कि वन्यजीवों के सड़क पार करते समय टकराने का खतरा भी बढ़ जाता था। इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए NHAI ने यहां आधुनिक तकनीक का उपयोग कर एक ऐसा समाधान तैयार किया है, जो ड्राइवरों को झपकी आने या ध्यान भटकने पर तुरंत सतर्क कर देगा।
नई मार्किंग तकनीक से बढ़ेगी सतर्कता
इस हाईटेक सड़क पर ड्राइवरों को सचेत रखने के लिए दोहरी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। सड़क के बीचों-बीच लाल रंग की 5 मिमी मोटी विशेष मार्किंग बनाई गई है। यह मार्किंग केवल रंग नहीं है, बल्कि एक कुशन जैसी सतह है। जैसे ही तेज रफ्तार वाहन इसके ऊपर से गुजरता है, हल्का कंपन या झटका महसूस होता है, जिससे ड्राइवर तुरंत सावधान हो जाता है।
इसके साथ ही सड़क के दोनों किनारों पर भी 5 मिमी मोटी सफेद शोल्डर लाइन बनाई गई है। यदि कोई चालक नींद के कारण सड़क से किनारे की ओर बढ़ने लगता है, तो टायर के इन लाइनों पर चढ़ते ही झटका मिलता है और ड्राइवर की नींद टूट जाती है। यह तकनीक विशेष रूप से रात में यात्रा करने वाले वाहन चालकों के लिए बेहद उपयोगी है।
यातायात और वन्यजीव दोनों के लिए सुरक्षित
NHAI का कहना है कि नई मार्किंग, उन्नत संकेतों और बेहतर सड़क डिजाइन की मदद से ड्राइवरों की सतर्कता बढ़ेगी और वे गति सीमा का पालन अधिक आसानी से कर सकेंगे। तीखे मोड़ों और कठिन रास्तों पर भी अब वाहन चलाना पहले से ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा।
इस हाईवे अपग्रेड का सबसे बड़ा लाभ नौरादेही अभयारण्य के वन्यजीवों को मिलेगा। सड़क को इस तरह डिजाइन किया गया है कि जानवर बिना बाधा के पार कर सकें और इंसानी गतिविधियों का पर्यावरण पर न्यूनतम असर पड़े। वाहन और वन्यजीव—दोनों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया यह नवाचार आने वाले वर्षों में देश के अन्य संवेदनशील इलाकों के लिए भी एक मॉडल साबित हो सकता है।



