Banana Farming: केले की खेती में करना है खूब उत्पादन तो ये सस्ती जीवांश खाद का करे उपयोग, जाने पूरी डिटेल्स…

By Alok Gaykwad

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Banana Farming: केले की खेती में करना है खूब उत्पादन तो ये सस्ती जीवांश खाद का करे उपयोग, जाने पूरी डिटेल्स, रासायनिक खादों के बढ़ते इस्तेमाल से खेतों की उपजाऊ शक्ति कम होती जा रही है। किसान इस समय हरी खाद का उपयोग करके मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के साथ-साथ अच्छी पैदावार भी प्राप्त कर सकते हैं। इस समय गेहूं की फसल कट रही है और ऐसे में किसान केले की फसल लगाने से पहले हरी खाद तैयार कर सकते हैं। अगर आप भी केले की खेती करना चाहते हैं तो अभी से ही तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।

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खेत में हरी खाद का प्रयोग

रबी की फसलों की कटाई के बाद, केले की फसल लगाने के लिए हमें कुल 90 से 100 दिन का समय मिलता है। आप इस दौरान मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि केले की खेती में बहुत अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने का एक अच्छा उपाय है खेत में हरी खाद का प्रयोग। हरी खाद वह सहायक फसल है, जिसे मिट्टी में पोषक तत्व बढ़ाने और उसमें जैविक पदार्थों की आपूर्ति करने के लिए उगाया जाता है। यह न केवल उत्पादकता बढ़ाता है, बल्कि मिट्टी को होने वाले नुकसान को भी रोकता है।

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हरी खाद के फायदे

हरी खाद खेत को नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, जिंक, तांबा, मैंगनीज, लोहा और मोलिब्डेनम भी प्रदान करता है। यह मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा बढ़ाकर खेत की भौतिक स्थिति में सुधार करता है। हरी खाद का उपयोग हर प्रकार की मिट्टी में जैविक पदार्थों की मात्रा को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है, जो मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखेगा।

खेत में ढैंचा लगाएं

इसी क्रम में अप्रैल-मई माह में मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए सनई, ढैंचा, मूंग, लोबिया में से किसी को भी बोना जरूरी है। ढैंचा लगाना बेहतर होगा क्योंकि इस समय इसकी बढ़वार बहुत अच्छी होती है। ढैंचा उस मिट्टी के लिए उपयुक्त खाद है जिसका पीएच लेवल 8.0 से ऊपर जा रहा है। यह मिट्टी की क्षारीयता को भी कम करता है। जिन खेतों में जिप्सम या पाइराइट जैसे मिट्टी सुधारने वाले रसायनों का इस्तेमाल किया गया है और नमक निकालने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, वहां ढैंचा की हरी खाद लगानी चाहिए।

हरी खाद को मिट्टी में गाड़ दें

हरी खाद में वायुमंडलीय नाइट्रोजन को मिट्टी में स्थिर करने की क्षमता होती है और साथ ही मिट्टी में रासायनिक, भौतिक और जैविक गतिविधि को बढ़ाकर केले की उत्पादकता, फलों की गुणवत्ता और अधिक उपज प्राप्त करने में भी मदद करता है। अप्रैल-मई माह में खाली खेत में हल्की सिंचाई कर पर्याप्त नमी होने के बाद 45-50 किलो ढैंचा बीज बोए जाते हैं, और जब फसल लगभग 45-60 दिन पुरानी हो जाए (फूल आने से पहले), तब ढैंचा को मिट्टी पलटने वाले हल से मिट्टी में गाड़ दिया जाता है। इससे केले की रोपाई से पहले अच्छी हरी खाद तैयार हो जाती है। इसे मिट्टी में गाड़ने के बाद, एक सप्ताह के भीतर 1 किलो यूरिया प्रति बिस्वा (1360 वर्ग फुट) छिड़कने से, ढैंचा अच्छी तरह सड़ कर मिट्टी में मिल जाता है। इस तरह खेत केला लगाने के लिए तैयार हो जाता है।

उत्तम और सस्ता जैविक खाद

ढैंचा कम उपजाऊ जमीन में भी अच्छी तरह से उगने की क्षमता रखता है। ढैंचा के पौधे पत्तियों और तनों से जमीन को ढक लेते हैं, जिससे मिट्टी का कटाव कम होता है। इस तरह खेत में