अगर आप बागवानी में रुचि रखते हैं तो आप अमरूद की खेती कर सकते हैं। किसान अमरूद की खेती साल में दो बार कर सकते है। अमरूद एक ऐसा फल है, जिसकी मांग बाज़ार में सालभर बनी रहती है। अमरूद की बागवानी कर के आप तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं। आपको सिर्फ इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप उन्नत किस्म के बीज ही चुनें, ताकि बेहतर पैदावार मिले। अमरूद के किस्मों का चयन सावधानी से करना चाहिए, क्योंकि उन्नत किस्में जलवायु, मृदा, पानी प्रबंधन पर निर्भर करता है। तो आइये जानते हैं अमरूद की कुछ उन्नत किस्मो के बारे में।
अमरूद की “ललित” किस्म
यह अमरूद की बहुत ही अच्छी और प्रचलित किस्म मानी जाती है। यह बहुत ही ज्यादा पैदावार वाली किस्म मानी जाती है। इस प्रजाति के अरूमद का गूदा लाल और खाने में स्वादिष्ट होता है। इस किस्म में 70 किलोग्राम से लेकर 100 किलोग्राम तक प्रति पौधा उपज मिलती है। इसके एक फल का वजन 185 से 200 ग्राम होता है।
अमरूद की “इलाहाबाद सफेदा” किस्म
अमरूद की इस किस्म के फल गोल, चमकदार सहत वाले होते हैं। इसका गूदा सफेद और मीठा होता है। इस प्रकार की किस्म के पौधे लंबे और सीधे बढ़ते हैं। इस किस्म की भंडारण क्षमता काफी अच्छी है, ये लंबे समय तक फ्रेश रहते हैं। इस किस्म से अमरूद के एक पेड़ से 40 से 50 किलोग्राम तक फल प्राप्त किए जा सकते हैं।
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अमरूद की “लखनऊ -49” किस्म
लखनऊ-49 किस्म के अमरूद के पेड़ साइज में छोटे होते हैं। लेकिन इसका फल बहुत ही मीठा और स्वादिष्ट होता है। इसके फल का आकार अधिक होता है और फल का गुद्दा सफेद रंग का होता है। इसके फल खाने बहुत ही स्वादिष्ट होते है। इसके एक पेड़ से 130 से 155 किलो तक अमरूद का उत्पादन हो सकता है।
अमरूद की “श्वेता” किस्म
अमरूद की ये एक खास किस्म मानी जाती है। इसे सीआईएसएच लखनऊ ने विकसित किया है। किसानों इस किस्म की खेती कर अच्छा लाभ पा सकते हैं। सका पौधा मध्यम आकार का होता है। इसके फल कम बीज वाले, गोल और मुलायम होते हैं। यह किस्म पीले रंग की आभायुक्त मध्यम आकार की किस्म है जिसमें कभी-कभी लालिमा भी उभर आती है।
अमरूद की “थाई” किस्म
थाई अमरूद एक विदेशी किस्म है। इसके पौधों पर फल बहुत कम समय में आने शुरू हो जाते हैं। इसके अमरूद की कीमत ज्यादा होती है। यह खाने में बहुत ही मिठास होती है और इसकी विशेषता बहुत ही काम मात्रा में बीज होते है। इसकी हार्वेस्टिंग करने के बाद आप इसे 12 से 13 दिनों तक स्टॉक कर के रख सकते हैं। इसके एक पेड़ से 4 से 5 साल बाद 100 किलो तक फल का उत्पादन मिलता है।