देश का हिंन्दू नहीं जानता अमरनाथ यात्रा का इतना बड़ा सच, Amarnath Yatra 2023 के पहले ये काला सच अभी तक क्यू छिपाया गया हिन्दुओ से इतना बड़ा सच अमरनाथ धाम की पवित्र यात्रा से हिन्दू धर्म के लोगों की अगाध आस्था है. हर साल लाखों की संख्या में लोग अमरनाथ यात्रा करते हैं. अमरनाथ यात्रा को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं. इसमें कुछ सच हैं तो कुछ झूठी. अमरनाथ यात्रा को लेकर एक ऐसा ही झूठ सदियों से चला आ रहा है.
अमरनाथ की पवित्र गुफा holy cave of amarnath
देश का हिंन्दू नहीं जानता अमरनाथ यात्रा का इतना बड़ा सच, Amarnath Yatra 2023 के पहले ये काला सच अभी तक क्यू छिपाया गया हिन्दुओ से इतना बड़ा सच अब हम आपको बताते हैं उस झूठ के बारे में जो हमेशा से अमरनाथ यात्रा के लिए कहा जाता रहा है. दरअसल आपने सुना होगा कि अमरनाथ की पवित्र गुफा को पहली बार एक मुस्लिम गड़रिए ने देखा था. उस मुस्लिम का नाम बूटा मलिक बताया जाता है.
अमरनाथ यात्रा का अनंत काल पुराना इतिहास Timeless History of Amarnath Yatra
इस कहानी को बताने वाले कहते हैं कि इस मुस्लिम गड़रिए ने 1850 में भगवान शिवा का हिमलिंग देखा था. मुस्लिम गड़रिए ने ये बात आकर लोगों को बताई और इसके बाद से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत ही. दुर्भाग्य की बात यह है कि लोग इस गड़रिए की कहानी को सच मानते आ रहे थे. लेकिन यह एक कोरा झूठ है और अमरनाथ यात्रा का अनंत काल पुराना इतिहास है.
देश का हिंन्दू नहीं जानता अमरनाथ यात्रा का इतना बड़ा सच, Amarnath Yatra 2023 के पहले ये काला सच अभी तक क्यू छिपाया गया हिन्दुओ से इतना बड़ा सच
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अमरनाथ यात्रा के साक्ष्य Evidence of Amarnath Yatra
अमरनाथ यात्रा और भगवान शिव के हिमलिंग के साक्ष्य 5 शताब्दी में लिखी गई पुराणों से लेकर, 12वीं शताब्दी में कश्मीर पर लिखे गए ग्रन्थ राजतरंगणि में मिलते हैं. 16वीं शताब्दी में अकबर शासन में लिखी गई आइन ए अकबरी में भी बाबा बर्फानी का जिक्र है. 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के फ्रेंच डॉक्टर फ्रैंकोइस बेरनर की किताब और 1842 में ब्रिटिश यात्री GT vegne की किताब में भी अमरनाथ यात्रा के साक्ष्य मिलते हैं. जिससे साबित होता है कि मुस्लिम गड़रिये की कहानी सच नहीं थी. सच यह है कि बाबा बर्फानी का पौराणिक इतिहास कई हजार साल पुराना है.