Red Aloe Vera Farming: अब हरा नहीं लाल एलोवेरा करेगा किसानों मालामाल, जानिए इसकी खेती की पूरी जानकारी, देश के किसान अब परम्परागत खेती को छोड़ कम समय में अधिक लाभ देने वाली फसलों की खेती करने में रूचि दिखा रहे है, देश में बहुत से किसान एलोवेरा की खेती कर मुनाफा कमा रहे है,ऐसी में आज हम आपको लाल एलोवेरा की खेती के बारे में बताने जा रहे है, जिसकी इन दिनों देश-विदेश में काफी डिमांड हो रही है, ऐसे में आप भी लाल एलोवेरा की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते है,आइए जानते हैं कि लाल एलोवेरा की खेती के बारे में जानकारी। …
लाल एलोवेरा की खेती के लिए करे खेतों की गहरी जुताई
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अगर आप भी लाल एलोवेरा की खेती करना चाहते हैं, तो इसकी रोपाई से पहले खेतो को अच्छी तरह से गहरी जुताई कर ले. आपके खेत की मिट्टी समान रूप से समतल बनी होनी चाहिए. जिससे फसल के बेहतर उत्पादन में मदद मिलती है।
अच्छी पैदावार के लिए करे जैव उर्वरको का प्रयोग
खेती की गहरी जुताई करने के बाद खेतो में उचित मात्रा में जैव उर्वरको का प्रयोग करना चाहिए, इसके लिए आपको फसल की रोपाई के बाद 2.5 टन/हेक्टेयर वर्मीकम्पोस्ट के साथ 20 टन/हेक्टेयर फार्मयार्ड खाद का प्रयोग करना होगा और साथ ही दीमक सहित अन्य भूमिगत कीटो पर नियंत्रण के लिए आपको 350-400 किलोग्राम नीम की खली प्रति हेक्टेयर का इस्तेमाल करें. जिससे आपकी फसल की पैदावार में वृद्धि होती है।
लाल एलोवेरा की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
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आपको जानकारी के लिए बता दे की लाल एलोवेरा की खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना जाता है। ध्यान रहे कि मिट्टी में अच्छी जल निकासी होनी चाहिए. लाल एलोवेरा के लिए मिट्टी का PH मान 7-8.5 मात्रा में कार्बनिक पदार्थ वाली रेतीली मिट्टी होती है. जो फसल के बेहतर उतपादन देने में सक्षम होती है।
लाल एलोवेरा की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
गर्म और आर्द्र जलवायु वाले क्षेत्रों में लाल एलोवेरा की खेती के लिए काफी उपयुक्त माने जाते है. मिली जानकारी के मुताबिक, यह एलोवेरा शुष्क और गर्म क्षेत्रों से संबंध रखती है. अगर आप एलोवेरा की खेती ठंडे मौसम में करते हैं, तो आपको इसका अच्छा लाभ नहीं मिलेगा. इसीलिए गरम प्रदेशो में करे इसकी खेती।
कम वर्षा वाले क्षेत्रों में करे लाल एलोवेरा की खेती
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यह एलोवेरा की खेती कम वर्षा वाले स्थानों में अच्छा प्रदर्शन देती है. इसकी खेती के लिए आपको अधिक पानी देने की आवश्यकता नहीं होती है. इसकी रोपण करने के बाद ही आपको सिंचाई करने पर ध्यान देना चाहिए और साथ ही इसकी जब आप पत्तियों की कटाई कर दें, तो आपको तुरंत हल्के पानी से सिंचाई करनी चाहिए. यह फसल कम सिचाई वाले क्षेत्रों में भी बेहतरीन उत्पादन देती है।
पौधों के बीच की दूरी
अगर आप भी लाल एलोवेरा की रोपाई करते है तो उन समय आपको पौधों से पौधों के बीच की दूरी का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इसके लिए आपको एक पौधे के बीच 60 सेमी x 30 सेमी की दूरी को बनाए रखना है. ताकि सभी पौधे सही तरीके से विकसित हो सकें.और इससे आप बेहतर उत्पादन ले सकते हो।
कीट और रोग का करे रोकथाम
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लाल एलोवेरा की खेती के दौरान आपको कीट व रोगों का भी बेहद ध्यान रखना है. क्योंकि इसमें रोगों लगने की संभावना सबसे अधिक होती है, जोकि धीरे-धीरे पूरे पौधे को खराब कर देते हैं, एलोवेरा में कवक रोग सबसे अधिक लगते हैं, पौधे की सुरक्षा के लिए आपको खेत में फफूंदनाशकों का प्रयोग करना चाहिए.
लाल एलोवेरा की कटाई
आपको जानकरी के लिए बता दे की लाल एलोवेरा की कटाई रोपण के 8 से 9 महीने पूरे होने के बाद ही करनी चाहिए,ताकि पौधा अच्छे से कटाई के लिए तैयार हो सकें. ध्यान रहे कि जब आप लाल एलोवेरा के पौधों की कटाई कर रहे हैं, तो आपको इसके रस को नष्ट नहीं करना है. आप भी लाल एलो वेरा की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते है।