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Indore News :11 माह में ही उखड़ने लगा इंदौर का राऊ सिक्सलेन ब्रिज, घटिया निर्माण और भ्रष्टाचार के आरोपों से मचा हड़कंप

On: December 19, 2025 2:04 PM
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Indore News इंदौर के राऊ जंक्शन पर बने नए सिक्सलेन ब्रिज की गुणवत्ता अब सवालों के घेरे में आ गई है। मुंबई–आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित यह ब्रिज महज 11 महीने पहले ही जनता के लिए खोला गया था, लेकिन चार महीने के भीतर ही इसकी एप्रोच रोड उखड़ने लगी। इस स्थिति ने न सिर्फ एनएचएआई की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि निर्माण में भ्रष्टाचार की आशंका भी गहरा दी है।

बताया जा रहा है कि ब्रिज के उद्घाटन के कुछ ही समय बाद सड़क पर गड्ढे नजर आने लगे थे। पहले इन्हें अस्थायी मरम्मत यानी पेचवर्क के जरिए ठीक करने की कोशिश की गई, लेकिन भारी वाहनों की लगातार आवाजाही के कारण यह मरम्मत ज्यादा समय तक टिक नहीं पाई। हालात इतने बिगड़ गए कि आखिरकार एनएचएआई को ब्रिज की एप्रोच रोड को पूरी तरह तोड़ने का फैसला लेना पड़ा। फिलहाल ब्रिज की एक तरफ की लेन बंद कर दी गई है और अगले करीब दो महीने तक ट्रैफिक सिर्फ एक ही लेन से संचालित किया जाएगा, जिससे वाहन चालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

स्थानीय लोगों और नियमित यात्रियों का कहना है कि इतने कम समय में सड़क का इस तरह उखड़ना घटिया निर्माण की ओर इशारा करता है। राऊ ब्रिज पर हुए पेचवर्क के असफल होने के बाद अब बेस वर्क दोबारा किया जा रहा है, जिसके बाद सड़क को नए सिरे से तैयार किया जाएगा। एनएचएआई अधिकारियों का दावा है कि यह काम पूरी गुणवत्ता के साथ किया जाएगा, ताकि भविष्य में ऐसी समस्या दोबारा न आए।

इस ब्रिज के निर्माण पर करीब 50 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आई है। आरोप है कि निर्माण के दौरान जल्दबाजी में गुणवत्ता से समझौता किया गया, ताकि ब्रिज को समय से पहले ट्रैफिक के लिए खोल दिया जाए। ठेकेदार कंपनी विंध्या कंस्ट्रक्शन को भुगतान भी पहले ही किया जा चुका है, लेकिन अब घटिया निर्माण के चलते विभाग की छवि को नुकसान पहुंच रहा है।

हालांकि राहत की बात यह है कि ब्रिज अभी गारंटी पीरियड में है। एनएचएआई का कहना है कि एप्रोच रोड का दोबारा निर्माण ठेकेदार कंपनी ही कर रही है और इस पर विभाग की ओर से कोई अतिरिक्त खर्च नहीं किया जा रहा। बावजूद इसके, यह मामला सार्वजनिक पैसों के सही उपयोग और निर्माण कार्यों की निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े करता है। इंदौर जैसे बड़े शहर में इस तरह की लापरवाही लोगों के भरोसे को कमजोर कर रही है।

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Kunal

विश्लेषक के तौर पर, कुणाल लगभग आठ वर्षों से देश भर की ख़बरों पर पैनी नज़र बनाए हुए हैं। वह हर घटना का गहन अध्ययन करते हैं, ताकि उसके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रभावों को उजागर किया जा सके।

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