कम मजदूरों में भी होगा भरपूर धान का उत्पादन, जानें ड्रम सीडर से सीधी बुवाई का तरीका, भारत एक कृषि प्रधान देश है. बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों में किसान बड़े पैमाने पर धान की खेती करते हैं. लेकिन शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण गांवों में मजदूरों की कमी हो गई है. ऐसे में खेतों में समय पर काम कराने के लिए किसानों को मजदूर नहीं मिल रहे हैं. इससे धान की खेती भी प्रभावित हो रही है.
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लेकिन अब किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. अब किसान समतल (रोपण के समय खेत में पानी लगाना) खेत में छिटकने की विधि से धान की सीधी बुवाई कर सकते हैं. इस तरीके से धान की खेती करने में कम मजदूरों की जरूरत पड़ेगी. इसके साथ ही लागत भी काफी कम आ जाएगी.
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लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि छिटकने की विधि से इस तरह से धान की बुवाई करने से खेत में धान के पौधों में एकरूपता नहीं आती है. साथ ही कम संख्या में पौधे लग पाते हैं, जिसके कारण परंपरागत बुवाई की तुलना में धान की पैदावार कम हो जाती है. हालांकि, समतल खेत में सीधे ड्रम सीडर से धान की बुवाई करके इन समस्याओं को दूर किया जा सकता है.
ड्रम सीडर से सीधी बुवाई
ड्रम सीडर से सीधे धान की बुवाई करते समय खेत की समतलता, मिट्टी के बैठाव और खेत में पानी के स्तर पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है.
धान की बुवाई का सही समय
अंकुरित धान की सीधी बुवाई ड्रम सीडर से मानसून आने के एक सप्ताह के अंदर ही पूरी कर लेनी चाहिए, ताकि बारिश से पहले धान अच्छे से अंकुरित हो जाए क्योंकि जब मानसून की बारिश शुरू होती है, तो खेत में जलभराव हो सकता है. इस कारण धान का ठीक से अंकुरण नहीं हो पाता है.
खेत में जल निकास की व्यवस्था करें
खेत को समतल करते समय, पाटे से खेत को अच्छी तरह से समतल करें, क्योंकि यदि खेत असमान है, तो धान के बीज समान रूप से अंकुरित नहीं होते हैं. साथ ही खेत से पानी निकास की व्यवस्था भी सुनिश्चित करें, क्योंकि धान के अंकुरित होने के बाद, खेत में जलभराव होने से फसलें खराब हो जाती हैं.
साथ ही, ड्रम सीडर से धान की बुवाई करते समय खेत में पानी का स्तर 2-2.5 इंच से अधिक नहीं होना चाहिए. खेत में इतना पानी होना चाहिए कि ड्रम सीडर आसानी से चल सके. जब पानी का स्तर अधिक होता है, तो बीज ड्रम सीडर द्वारा बनाई गई furrow में खेत की मिट्टी तक नहीं पहुंच पाते हैं. बीज पानी में ही रह जाता है और ड्रम सीडर द्वारा कतारों में बनाई गई furrow में नहीं बोया जा सकता है.
लेवी लगाने के बाद ड्रम सीडर से बुवाई
अनुसंधान में पाया गया है कि धान की सीधी बुवाई ड्रम सीडर से लेवी लगाने के 5-6 घंटे के अंदर ही कर लेनी चाहिए. यदि इससे अधिक देरी होती है, तो धान के खेत की मिट्टी सख्त होने लगती है और धान के पौधों की शुरुआती धीमी वृद्धि के कारण पैदावार कम होने लगती है.
ड्रम सीडर से सीधी बुवाई के लिए 50-55 किलो बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है. वहीं, नरेंद्र-97, मालवीय धान-2 (HUR-3022) जैसी किस्में जल्दी पकने वाली किस्मों में और नरेंद्र-359, सूरज-52 मध्यम देर से पकने वाली किस्मों में ड्रम सीडर से बुवाई के लिए उपयुक्त हैं.