26/11 Mumbai Attack: ‘आतंकी आए तो रोक ली सांस, जिस्म में धंसी 7 गोलियां’, मौत को चकमा देकर लौटे कमांडो सुनील जोधा की रोंगटे खड़े करने वाली कहानी

26 नवंबर… इतिहास की वो तारीख जिसे याद कर आज भी देश का कलेजा कांप उठता है। मुंबई में हुए उस खौफनाक आतंकी हमले को 17 साल बीत चुके हैं, लेकिन उन वीरों की शहादत और शौर्य की गाथाएं आज भी जिंदा हैं। ऐसे ही एक ‘जिंदा शहीद’ और ‘शौर्य चक्र’ विजेता हैं राजस्थान के अलवर निवासी एनएसजी (NSG) कमांडो सुनील जोधा, जिन्होंने मौत को इतनी करीब से देखा कि यमराज भी उन्हें छूकर लौट गए।
ताज होटल का वो खौफनाक मंजर
26 नवंबर 2008 की रात, जब पूरा देश दहशत में था, तब सुनील जोधा अपनी टीम के साथ ताज होटल में आतंकियों को ढेर करने के लिए दाखिल हुए थे। वहां चारों तरफ लाशें बिछी थीं और बारूद की गंध फैली थी। ऑपरेशन के दौरान जब वे होटल की दूसरी मंजिल पर पहुंचे, तो बिजली गुल हो गई। घुप अंधेरे में उनका सामना दो आतंकियों से हुआ।
शरीर में 8 गोलियां, एक आज भी सीने में दफन
मुठभेड़ के दौरान आतंकियों ने उन पर अंधाधुंध फायरिंग की। सुनील के शरीर को 8 गोलियों ने छलनी कर दिया। खून पानी की तरह बह रहा था। सुनील बताते हैं कि जब आतंकी उनके करीब आए, तो उन्होंने अपनी सांसें रोक लीं और ऐसा नाटक किया जैसे उनकी मौत हो चुकी हो। आतंकी उन्हें मरा समझकर आगे बढ़ गए।
सुनील की हालत इतनी गंभीर थी कि उनके शरीर से 7 गोलियां तो ऑपरेशन कर निकाल ली गईं, लेकिन एक गोली आज भी उनके सीने (चेस्ट) के पास धंसी हुई है। डॉक्टर्स का कहना था कि इसे निकालना जानलेवा हो सकता है। यह गोली आज भी उन्हें उस काली रात की याद दिलाती है।
40 जिंदगियां बचाकर बने मिसाल
घायल होने के बावजूद सुनील ने हार नहीं मानी थी। उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर ताज होटल में फंसे करीब 40 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। अत्यधिक खून बह जाने के कारण वे कई दिनों तक कोमा में रहे, लेकिन उनकी इच्छाशक्ति ने मौत को हरा दिया। उनके इस अदम्य साहस के लिए उन्हें वीरता पुरस्कार और ग्लोबल पीस अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
वर्तमान में सुनील उदयपुर में तैनात हैं, लेकिन उनकी कहानी आज भी युवाओं की रगों में देशभक्ति का ज्वार भर देती है। बेतूल समाचार ऐसे शूरवीरों को नमन करता है।